सबको छोड़ने क़ा मन करता हैं
सबसे कही दूर जाने क़ा मन करता हैं
न किसी से प्यार करू
न किसी के प्यार के काबिल बनू
न किसी से दिल लगाऊ
न किसी क़ा दिल तोडू
न किसी पे ऐतबार करू
न किसी क़ा इंतज़ार करू
सबसे नाता तोड़ने क़ा मन करता हैं
न किसी से बात करू
न कोई वादा करू
न कोई वफ़ा की उम्मीद करू
न किसी से बेवफाई करू
न किसी को अपना कहू
न किसी को यादों में बसाऊ
खुद से प्यार को दूर करने क़ा मन करता हैं
न कोई दुआ करू न किसी पे यकीन
न कोई रास्ता धुंडू न कोई मंजिल
न कोई सपना सजाऊ न कोई इरादे
रात को नींद का न सुबह उठने क़ा
न खुद से न कोई परायों से
खुद से दूर जाने क़ा मन करता है
दुनिया से अलग होने क़ा मन करता है
न दुःख पे आंसू बहाऊ
न ख़ुशी से झूम उठू
न किसी के मिलने पे मुस्कुराऊ
न किसी के बिचादने क़ा शोक मनाऊ
न खुद के लिए रोऊ न किसी और के लिए
कही खो जाने क़ा मनन करता है
हकीकत से मुह मोड़ने क़ा मन करता है
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