अब मैं खामोश रहना चाहती हूँ
मेरे दिल मैं क्या है दबाना चाहती हूँ
खुद को वक़्त के हवाले करना चाहती हूँ
समाज की तीखी निगाहों से बचना चाहती हूँ
मेरे हमसफ़र मेरे हमराज़
आपकी मोहब्बत ने कर दिया दीवाना इस कदर
अब आपका नाम भी अपने साथ लगाना चाहती हूँ
जानती हूँ ये दुनियां कभी सवीकार नहीं करेगी
मै आपकी ही बन कर जीना चाहती हूँ
चाहे दुनिया मुझे मीरा पुकारे या राधा
मैं तो बस आपकी ही हो कर मर जाना चाहती हूँ
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