Tuesday, November 23, 2010

Yeh saas tut jaaye to aur baat hai…


Aapko bhool jau umar guzarne ki baat hai,

Aap ko naa ho yakin yeh aur baat hai,

Jab tak rahegi saas tab tak rahonge yaad,

Yeh saas tut jaaye to aur baat hai…

Ae dost tu dil ke aur paas aane laga..


Tumse doori ka ehsaas jab satane laga,

Tere sath guzra har lamha yaad aane laga

Jabbhi tumhe bhulne ki koshish ki,

Ae dost tu dil ke aur paas aane laga..

Aapko bhool jau umar guzarne ki.....


KABHI PATJHAD MEIN BAHAR AATI HAI

KABHI BAHAR MEIN BHI PHOOL NAHI KHILTE

KISI KI LAASH PAR BANTA HAI TAJMAHAL

KISI KI LAASH KO KAFAN TAK NAHI MILTE

Saturday, September 11, 2010

आज छोड़ दिया उन्होंने हमारा साथ

आज छोड़ दिया उन्होंने हमारा साथ

वो किसी और का दामन पकडे बैठे हैं

क्यों नहीं भूलते हम उनकी हर बात

क्यों उनकी यादो को दिल से लगाये बैठे हैं !!

Thursday, August 12, 2010

उसे इतना चाहती क्यों हो ?



आज इतनी चुपचाप और उदास क्यों हो ?
आज से पहले तो तुम भी न थीं ऐसी,
फिर आज क्यों हो ?
क्या किसी से दिल लगा बैठे हो तो उदास क्यों हो ?
तोड़ा है किसी ने दिल तुम्हारा तो परेशान क्यों हों ?
बहुत है चाहने वाले तुम्हें दुनिया में,
इस तरह खामोश क्यों हो ?
कोई और होगा अच्छा किस्मत में तुम्हारी
फिर इतनी गम में डूबी क्यों हो ?
उसे क्या पता तुम क्या हो,
तुम उसके लिये इतनी बैचेन क्यों हो ?

जिसे नहीं फिक्र तुम्हारी, उसे इतना चाहती क्यों हो ?

मौत के संग वफ़एः दफ़न नही होती



मौत के संग वफ़एः दफ़न नही होती

सच्ची मोहब्बत की आदाय काम नही होती

यक़ीन ना होता जो तुझ पर इस दिल को

तेरे दिल में इस मोहब्बत की आच पनपी ना होती

में लफ्जों से कुछ भी इज़हार नहीं करती,

http://misskiranrawat.blogspot.in/
में लफ्जों से कुछ भी इज़हार नहीं करती,
इसका मतलब ये नहीं की मैं उससे प्यार नहीं करती,
चाहती हूँ मैं उसे आज भी,
पर उसकी सोच में अपना वक़्त बेकार नहीं करती,
तमाशा न बन जाये कहीं मोहब्बत मेरी,
इसलिए अपने दर्द का इज़हार नहीं करती,
जो कुछ मिला है उसी में खुश हूँ मैं,
उसके लिए खुदा से तकरार नहीं करती,
पर कुछ तो बात है उसकी बातों में,
वरना उसे चाहने की खता बार-बार नहीं करती..

मैं कल तक रुक न पाउंगी..


वक्त कहता है मैं फिर न आउंगी..

तेरी आँखों को अब न रुलाउंगी..

जीना है तो इस पल को जी ले..

मैं कल तक रुक न पाउंगी..

सबको छोड़ने क़ा मन करता हैं

http://misskiranrawat.blogspot.in/


सबको छोड़ने क़ा मन करता हैं

सबसे कही दूर जाने क़ा मन करता हैं

न किसी से प्यार करू

न किसी के प्यार के काबिल बनू

न किसी से दिल लगाऊ

न किसी क़ा दिल तोडू

न किसी पे ऐतबार करू

न किसी क़ा इंतज़ार करू

सबसे नाता तोड़ने क़ा मन करता हैं

न किसी से बात करू

न कोई वादा करू

न कोई वफ़ा की उम्मीद करू

न किसी से बेवफाई करू

न किसी को अपना कहू

न किसी को यादों में बसाऊ

खुद से प्यार को दूर करने क़ा मन करता हैं

न कोई दुआ करू न किसी पे यकीन

न कोई रास्ता धुंडू न कोई मंजिल

न कोई सपना सजाऊ न कोई इरादे

रात को नींद का न सुबह उठने क़ा

न खुद से न कोई परायों से

खुद से दूर जाने क़ा मन करता है

दुनिया से अलग होने क़ा मन करता है

न दुःख पे आंसू बहाऊ

न ख़ुशी से झूम उठू

न किसी के मिलने पे मुस्कुराऊ

न किसी के बिचादने क़ा शोक मनाऊ

न खुद के लिए रोऊ न किसी और के लिए

कही खो जाने क़ा मनन करता है

हकीकत से मुह मोड़ने क़ा मन करता है

सुब कुछ मिला सकून की दोलत नहीं मिली...


http://misskiranrawat.blogspot.in/


तुम ने तो कह दिया मोहब्बत नहीं मिली

मुझ को तो यह भी कहने की मोहलत नहीं मिली

नींदों के दिस जाते कोई खवाब देखते

लेकिन दिया जलने से फुर्सत नहीं मिली

तुझ को तो खैर शहर के लोगों क़ा खौफ था

और मुझ को अपने घर से इजाज़त नहीं मिली

बेजार यूं हुए के तेरे एहद में हमें

सुब कुछ मिला सकून की दोलत नहीं मिली...
.

हज़ार ग़म थे मेरी ज़िन्दगी अकेली

हज़ार ग़म थे मेरी ज़िन्दगी अकेली थी

ख़ुशी जहां की मेरे वास्ते पहेली थी

वफ़ा की तलाश तो अक्सर बेवफाओं को होती है

हम ने तो दुनिया ही छोड़ दी किसी की वफ़ा के लिए

Thursday, July 29, 2010

तेरे बिना


http://misskiranrawat.blogspot.in/

मन लगाने के कितने बहाने किये
किन्तु तेरे बिना मान लगा ही नही


थाम ली प्रीति ने
याद की बाँसुरी
किन्तु वह भी हृदय में
फिरी बन छुरी


गीत गाने के कितने बहाने किये
किंतु तेरे बिना सुर जगा ही नहीं


बीन के तार पर
उंगलियाँ छिल गई
स्वर उठा तो
उन्हें आँधियाँ मिल गई


मुस्कराने के कितने बहाने किये
पर किसी भी हँसी ने ठगा ही नही

"तुम्हें भुलाना मुश्किल है "


http://misskiranrawat.blogspot.in/


तुम्हें भुलाना मुश्किल है
कैसे भूल जाऊं उस मुकाम को
वही हमारी यादें थी

तब हमारे होठों पर बस
मिलने की फरियादें थी
मिलने से पहले ही
क्यों हम जुदा हो गये

हुई क्या खता मुझसे
जो तुम खफ़ा हो गये
काश! तुम समझ सकते
मेरे भी सीने मे दिल है
तुम्हें भुलाना मुश्किल है

कितनी आसानी से तुमने
प्यार को दोस्ती का नाम दे दिया था
तुम्हीं तो थे जिसे मैनें
दिलों-जां से प्यार किया था

वैसे तो सारी ज़िंदगी में
आज के बाद कल है
तुम्हें भुलाना मुश्किल है

बंधनों में बंधना है
किसी प्यार का अंज़ाम नहीं
करते रहे गिला सभी से
यह भी कोई काम नहीं

सच्चा हो प्यार अगर
तो शिकायत नहीं होती
बंधनों मे बँधनें की
सभी की इनायत नहीं होती

मेरे जीवन मे तो अब
तुम्हारे यादों की महफिल है
तुम्हें भुलाना मुश्किल है


मुझे ज़िन्दगी की तलब नहीं


मुझे ज़िन्दगी की तलब नहीं, मौत का इंतज़ार हैं.


चलते चलते यह फ़न भी सिख लिया हमने;
दौरान-ए-सफ़र कैसे होटों पे हसीं सजाते हैं.........



Monday, June 28, 2010


खुद अपनी पहचान से अंजान हूँ मैं



http://misskiranrawat.blogspot.in/


खुद अपनी पहचान से अंजान हूँ मैं,

अपनी पहचान आपसे करवाऊँ कैसे ??

कुछ सिमटी हुई छोटी सी दूनिया है मेरी ,

इस दिल की गहराइयों में आपको ले जाऊं कैसे ??

आसमान की ऊँचाइयों तक मेरे ख्वाब बिखरे हैं ,

अपने अरमानों की हद आपको दिखाऊँ कैसे ??

मुस्कुराना मेरी आदत है आंसुओं को छुपा कर ,

पर हर ग़म को अपनी हसी से बहलाऊँ कैसे ??

दोस्ती ही मेरी चाहत है और दोस्त मेरी ज़िन्दगी ,

इश्क से अपनी बेरुखी का सबब बताऊँ कैसे ??

होकर मेरी सरहदों में शामिल आप ही जान लो मुझे ,

किस्सी और तरह आपको खुद से मिलवाऊँ कैसे ?

"ज़िन्दगी



"ज़िन्दगी ,
तुझे,
मेरी खुशियाँ रास नहीं,
और,
मुझे समझौता ,
बता,
फिर कैसे हँसकर,
मिलन हो तुझसे "

Friday, June 18, 2010

हमारी ये यादे.......




बड़ी हसीन और खूबसूरत होती है यादे,
भुलानेसे भी नहीं भुलाई जाती यह यादे,
इन्सान को पलभर के लिए मुस्कुरा देती है यादे,
कभी रुलाती और कभी हसती है यादे,
हर जिद मिट जाती है लेकिन नहीं मिटती यादे,
हम रहे या न रहे पैर हमेशा रहेंगी हमारी यादे,
अकेले में तन्हाई को दूर करेगी हमारी ये यादे,
एक दिन हम नहीं रहेंगे बस रह जाएँगी हमारी ये यादे.......

Wednesday, June 16, 2010

अब मैं खामोश रहना चाहती हूँ




अब मैं खामोश रहना चाहती हूँ
मेरे दिल मैं क्या है दबाना चाहती हूँ
खुद को वक़्त के हवाले करना चाहती हूँ
समाज की तीखी निगाहों से बचना चाहती हूँ
मेरे हमसफ़र मेरे हमराज़
आपकी मोहब्बत ने कर दिया दीवाना इस कदर
अब आपका नाम भी अपने साथ लगाना चाहती हूँ
जानती हूँ ये दुनियां कभी सवीकार नहीं करेगी
मै आपकी ही बन कर जीना चाहती हूँ
चाहे दुनिया मुझे मीरा पुकारे या राधा
मैं तो बस आपकी ही हो कर मर जाना चाहती हूँ

Monday, June 14, 2010

चले जायेंगे तेरी दुनिया छोड़ कर हम.........


चले जायेंगे तेरी दुनिया छोड़ कर हम.........

ज़िन्दगी तुझ से हर इक सांस पे समझौता करूं?

शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं.........

Thursday, April 15, 2010

गलती उनकी नहीं ..........


गलती उनकी नहीं

गलती हमारी थी

जो चाँद को अपना समझ बैठे

मैं तो एक कोयला हूँ

जो अपने आप को एक हीरा समझ बैठे

मैं उसके काबिल नहीं

ये मुझको समझना चाहिए था

और एक मैं पागल

उन्हें अपनी तकदीर समझ बैठे

ये बता दे मुझे ज़िन्दगी


ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
प्यार की राह के हमसफ़र
किस तरह बन गये अजनबी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
फूल क्यूँ सारे मुरझा गये
किस लिये बुझ गई चाँदनी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
कल जो बाहों में थे
और निगाहों में थे
अब वो गर्मी कहाँ खो गई
न वो अंदाज़ है
न वो आवाज़ है
अब वो नर्मी कहाँ खो गई
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
बेवफ़ा तुम नहीं
बेवफ़ा हम नहीं
फिर वो जज़्बात क्यों सो गये
प्यार तुम को भी है
प्यार हम को भी है
फ़ासले फिर ये क्या हो गये
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

हम को तुम खो दोगे


मेरी रूह निकलने वाली होगी
मेरी सांस बिखरने वाली होगी
फिर दामन ज़िन्दगी का छूटेगा
धागा सांस का भी टूटेगा
फिर वापिस हम ना आयेंगे
फिर हम से कोई ना रूठेगा
फिर आँखों में नूर ना होगा
फिर दिल ग़म से चूर ना होगा
उस पल तुम हम को थामोगे
हम से दोस्त अपना मांगोगे
फिर हम ना कुछ भी बोलेंगे
आंखें भी ना खोलेंगे
उस पल तुम रो दोगे
हम को तुम खो दोगे

क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ...


क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ......!
मिलते थे तुम मुझसे मेरी जिंदगी की तरह ,
क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ......!

पहले तुम्हारी सब शिकायते , शिकवे और गिले
अपनेपन का कोमल एहसास लिए होते थे ,
अब क्यों लगता है कि हम मिलके भी नहीं मिले
और क्यों ये अपनापन भी लगता है , बेरुखी कि तरह
क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ......!

हमारे बीच में अब भी, ये उलझन क्यों है
दोस्ती के इस पाक रिश्ते में, ये घुटन क्यों है,
क्यों अब भी गलतफहमियों के लिए जगह बाकि है
क्यों दोस्ती निभाते हो मुझसे, दुश्मनी कि तरह
क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ......!

तुम्हे मुझसे कुछ भी छिपाने कि जरुरत क्यों है
खुश हो तुम तो, तुम्हारी ख़ुशी में , बनावट क्यों है,
काश तुम मिलके मेरे इन सवालो का जवाब दे दो
काश फिर कभी तुम मिलो मुझे , मेरी ज़िन्दगी कि तरह
क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ......!
क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ......!

जिन्दगी को इस तरह जीना


जिन्दगी को इस तरह जीना कोई कोई मिले

कभी तो खुद से नज़र से मिला सको

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे आगे

तू देख की क्या रंग है तेरा मेरे आगे

सच्चा प्यार


सच्चा प्यार
मै तो आइना हूँ तू जैसी दिखती है मै
तो वैसी ही बात कहूं
तेरी झूठी तारीफ करने करने का
हुनर मुझमे नहीं

देख तेरी आँखों मै आंसू
दिल मेरा भी रोता है
पर झूठा अपनापन दिखाने
करने का हुनर मुझमे नहीं

चाहत जिंदगी भर के
साथ की है मेरी
यूं पल भर के सुख के खातिर
उपहार भेंट करने का हुनर मुझमे नहीं

प्यार सच्चा हो
और हो दिल दिल की गहराई से
यूं मीठी मीठी बात्तें
करने का हुनर मुझमे नहीं

पाक दिल है
मन कांच सा साफ़ है
मन मै कुछ हो
और जुबान पर कुछ और लाने
का हुनर मुझमे नहीं

मैं चाहती हूँ तुझे
दिल की गहराई से
पर आपने प्यार का
इज़हार करने का हुनर मुझमे नहीं
हुनर मुझमे नहीं............


ज़िन्दगी एक किताब की तरह हैं

उसके पन्नो की तरह

ज़िन्दगी भी पलटती रहती हैं

कब कोन सी कहानी शुरू हो जाये पता नहीं

जब इस ज़िन्दगी रूपी किताब के पन्ने ख़तम होंगे

तो जिंदगी भी ख़तम हो जाएगी

उनकी याद


हम उनकी याद में रोते बहुत हैं

कैसे बताये उन्हें वो याद आते बहुत हैं

वो पल जो साथ बीताये हमने

वो हर बात याद आती बहुत हैं

Thursday, February 11, 2010


ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रहना

लहू बनके मेरी नसनस मे बहना,

दोस्ती होती है रिश्तो का अनमोल गेहना

इसलिए इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना

प्यार और दोस्ती


प्यार और दोस्ती
जो झुकाए वो प्यार , जो झुक जाये वो दोस्ती
जो रुलाये वो प्यार , जो हंसी लौटा लाये वो दोस्ती
जो अजमाए वो प्यार , जो कबी न जताए वो दोस्ती
जो छोड़ जाये वो प्यार , जो बिना कहे साथ देने आये वो दोस्ती
जो हमें गम दे वो प्यार , जो गम बांटे वो दोस्ती
जो सबको दुश्मन बनाये वो प्यार , जो सबको अपना बना दे वो दोस्ती
जो लौट आये वो प्यार , जो कबी साथ छोड़ क न जाये वो दोस्ती
जो दिल को चुभ जाये वो प्यार , जो दिल को छु जाये वो दोस्ती
जो मजनू राँझा ने न पाया वो प्यार , जो अर्जुन और सुदामा ने पाई वो दोस्ती
प्यार का दूसरा नाम है कुर्बानी , दोस्ती हर हाल में पड़ती है निभानी
प्यार मंजिल है ,दोस्ती रास्ता है ,दोनों का दिल से वास्ता है

ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,

जो हमारे दिल को जान सके,

चल रहे है हम तेज़ बारिश मे,

फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!

यादों की डगर पर जब हो कोई आशियाना
लिख के कोरे कागज पर ख़त उनका दे जाना
शब के सन्नाटों में जब कोई दर्द छेड़े तराना
भीगी पलकों के वह आंसू मुझे दे जाना

चुपके से लिख लेना लकीरों में नाम मेरा
शबे तन्हाई में फ़िर आवाज़ दे के बुलाना
लिखा है जिस गजल को इंतज़ार में मेरी
बस वही गजल आ के मुझे सुना जाना

मचल रही हैं कई आरजू कई ख्वाशिएँ दिल में
दिल की बढती तड़प को एक सकून दे जाना
कभी यूं ही कर देना हैरान मुझे अपने आने से
कभी बहती हवा की खुशुबू में तुम भी आ जाना !!

क्यों छोड़ के गए थे बेगाने जहान में,

मै रो-रो सो गई थी तनहा ही मकान में,

एक बार भी न सोचा कैसी हूँ तेरे बगैर,

जी लूंगी क्या यू तनहा यू ही तेरे बगैर,

क्या सोच कर किया था वो वादा जो किया,

कैसे जयूंगी ऐसे तनहा मेरे पिया,

गाए हो हमसे दूर तुम्हे आना ही पड़ेगा,

क्यू गए थे यू छोड़ बताना भी पड़ेगा,

मै अंत तक देखूंगी यूही तेरा रास्ता,

तुम्हे आना ही पड़ेगा तुम्हे आना ही पड़ेगा..

ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,

तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,

मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,

आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है

एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,

हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,

मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,

हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर.........

हरी है ये ज़मीं हमसे कि हम तो इश्क बोते हैं
हमीं से है हँसी सारी, हमीं पलकें भिगोते हैं

धरा सजती मुहब्बत से, गगन सजता मुहब्बत से
मुहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं

करें परवाह क्या वो मौसमों के रुख़ बदलने की
परिन्दे जो यहाँ परवाज़ पर तूफ़ान ढ़ोते हैं

अज़ब से कुछ भुलैंयों के बने हैं रास्ते उनके
पलट के फिर कहाँ आए, जो इन गलियों में खोते हैं

जगी हैं रात भर पलकें, ठहर ऐ सुब्‍ह थोड़ा तो
मेरी इन जागी पलकों में अभी कुछ ख़्वाब सोते हैं

मिली धरती को सूरज की तपिश से ये खरोंचे जो
सितारे रात में आकर उन्हें शबनम से धोते हैं

लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है
वो कोई और होंगे अपनी क़िस्मत पे जो रोते हैं

'आए भी वो गए भी वो'--गीत है यह, गिला नहीं

हमने य' कब कहा भला, हमसे कोई मिला नहीं।


आपके एक ख़याल में मिलते रहे हम आपसे

यह भी है एक सिलसिला गो कोई सिलसिला नहीं।


गर्मे-सफ़र हैं आप तो हम भी हैं भीड़ में कहीं

अपना भी काफ़िला है कुछ आप ही का काफ़िला नहीं।


दर्द को पूछते थे वो, मेरी हँसी थमी नहीं

दिल को टटोलते थे वो, मेरा जिगर हिला नहीं।


आई बहार हुस्न का ख़ाबे-गराँ लिए हुए :

मेरे चमन कि क्या हुआ, जो कोई गुल खिला नहीं।


उसने किए बहुत जतन, हार के कह उठी नज़र :

सीनए-चाक का रफ़ू हमसे कभी सिला नहीं।


इश्क़ की शाइरी है ख़ाक़, हुस्न का ज़िक्र है मज़ाक

दर्द में गर चमक नहीं, रूह में गर जिला नहीं


कौन उठाए उसके नाज़, दिल तो उसी के पास है;

'शम्स' मज़े में हैं कि हम इश्क़ में मुब्तिला नहीं

इस जिंदगी में और मुसीबत कोई नहीं
खुद जिंदगी हुई है मुसीबत कभी-कभी

देखें कि अब उम्मीद पे जाते हैं कहाँ तक
अनबन सी चल रही है कुछ खुदा से इन दिनों.

इस जिंदगी में और मुसीबत कोई नहीं
खुद जिंदगी हुई है मुसीबत कभी-कभी

देखें कि अब उम्मीद पे जाते हैं कहाँ तक
अनबन सी चल रही है कुछ खुदा से इन दिनों.

मत पूछो ये मुझसे कि कब याद आते हो
जब जब साँसे चलती हैं बहुत याद आते हो
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी
भीड़ कि तन्हाईओं में हर बार नज़र आते हो
जब भी सोचा कि फासला रखूँ मैं तुम से
ज़िन्दगी बन कर साँसों में समा जाते हो
खुद को तूफ़ान बनाने कि कोशिश तो की
बन कर साहिल अपने आगोश में समा जाते हो
चाहा ना था मैने इस पहेली में उलझना
हर उलझन का जवाब बन कर उभर आते हो
सूरज की रोशनी, चंदा की चांदनी
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब
तुम्हारी कसम बहुत बहुत याद आते हो
अब ना पूछना मुझसे की कब कब याद आते हो

हर तरफ है दरिन्दे अब दुनिया में कहाँ इंसान बाकी है,

कामयाबी की महफ़िल में अब भी मेरी पहचान बाकि है !

मैं तो परिंदा हूँ किस हद तक रखोगे तुम मुझे,

अब भी मेरे परों में कामयाबी की उड़ान बाकि है !!


कभी आंसू छुपा छुपा के रोये, कभी दास्ताँ-ए-ग़म सुना के रोये,

रात कटी है इन्तेजार-ए-यार में, हम रात भर तारों को जगा के रोये,

फिर वो न आया रात का वादा करके, हम तमाम रात शम्मा जला जला के रोये,

आज रात उनके आने की उम्मीद थी हमें, वो न आये हम घर सजा सजा के रोये,

सुना है दुआ से होती है मुराद दिल की पूरी, हम सारी रात हाथ उठा उठा के रोये !!

♥ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमे मरना तो है ♥

लब पे पाबन्दी नही एहसास पे पहरा तो है
फिर भी अहल-ए-दिल को अहवाल-ए-बशर कहना तो है

अपनी गैरत बेच डालें अपना मसलाक छोड दें
रहनुमाओं मे भी कुछ लोगो को ये मन्शा तो है

है जिन्हे सब से ज़्यादा दावा-ए-हुब्ब-ए-वतन
आज उन की वजह से हुब्ब-ए-वतन रुसवा तो है

बुझ रहे हैं एक एक कर के अकीकदों के दिये
इस अन्धेरे का भी लेकिन सामना करना तो है

झुठ क्यू बोलें फ़रोग-ए-मस्लहत के नाम पर
ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमे मरना तो है!