मुझे पढो तो ज़रा अहतियात से पढना
मुझे पढो तो ज़रा अहतियात से पढना खुद अपनी जात में बिखरी हुई किताब हूँ मैं ......
Thursday, February 11, 2010
इस जिंदगी में और मुसीबत कोई नहीं
खुद जिंदगी हुई है मुसीबत कभी-कभी
देखें कि अब उम्मीद पे जाते हैं कहाँ तक
अनबन सी चल रही है कुछ खुदा से इन दिनों.
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