मुझे पढो तो ज़रा अहतियात से पढना
मुझे पढो तो ज़रा अहतियात से पढना खुद अपनी जात में बिखरी हुई किताब हूँ मैं ......
Thursday, February 11, 2010
हर तरफ है दरिन्दे अब दुनिया में कहाँ इंसान बाकी है,
कामयाबी की महफ़िल में अब भी मेरी पहचान बाकि है !
मैं तो परिंदा हूँ किस हद तक रखोगे तुम मुझे,
अब भी मेरे परों में कामयाबी की उड़ान बाकि है !!
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