Thursday, February 11, 2010


ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रहना

लहू बनके मेरी नसनस मे बहना,

दोस्ती होती है रिश्तो का अनमोल गेहना

इसलिए इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना

प्यार और दोस्ती


प्यार और दोस्ती
जो झुकाए वो प्यार , जो झुक जाये वो दोस्ती
जो रुलाये वो प्यार , जो हंसी लौटा लाये वो दोस्ती
जो अजमाए वो प्यार , जो कबी न जताए वो दोस्ती
जो छोड़ जाये वो प्यार , जो बिना कहे साथ देने आये वो दोस्ती
जो हमें गम दे वो प्यार , जो गम बांटे वो दोस्ती
जो सबको दुश्मन बनाये वो प्यार , जो सबको अपना बना दे वो दोस्ती
जो लौट आये वो प्यार , जो कबी साथ छोड़ क न जाये वो दोस्ती
जो दिल को चुभ जाये वो प्यार , जो दिल को छु जाये वो दोस्ती
जो मजनू राँझा ने न पाया वो प्यार , जो अर्जुन और सुदामा ने पाई वो दोस्ती
प्यार का दूसरा नाम है कुर्बानी , दोस्ती हर हाल में पड़ती है निभानी
प्यार मंजिल है ,दोस्ती रास्ता है ,दोनों का दिल से वास्ता है

ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,

जो हमारे दिल को जान सके,

चल रहे है हम तेज़ बारिश मे,

फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!

यादों की डगर पर जब हो कोई आशियाना
लिख के कोरे कागज पर ख़त उनका दे जाना
शब के सन्नाटों में जब कोई दर्द छेड़े तराना
भीगी पलकों के वह आंसू मुझे दे जाना

चुपके से लिख लेना लकीरों में नाम मेरा
शबे तन्हाई में फ़िर आवाज़ दे के बुलाना
लिखा है जिस गजल को इंतज़ार में मेरी
बस वही गजल आ के मुझे सुना जाना

मचल रही हैं कई आरजू कई ख्वाशिएँ दिल में
दिल की बढती तड़प को एक सकून दे जाना
कभी यूं ही कर देना हैरान मुझे अपने आने से
कभी बहती हवा की खुशुबू में तुम भी आ जाना !!

क्यों छोड़ के गए थे बेगाने जहान में,

मै रो-रो सो गई थी तनहा ही मकान में,

एक बार भी न सोचा कैसी हूँ तेरे बगैर,

जी लूंगी क्या यू तनहा यू ही तेरे बगैर,

क्या सोच कर किया था वो वादा जो किया,

कैसे जयूंगी ऐसे तनहा मेरे पिया,

गाए हो हमसे दूर तुम्हे आना ही पड़ेगा,

क्यू गए थे यू छोड़ बताना भी पड़ेगा,

मै अंत तक देखूंगी यूही तेरा रास्ता,

तुम्हे आना ही पड़ेगा तुम्हे आना ही पड़ेगा..

ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,

तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,

मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,

आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है

एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,

हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,

मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,

हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर.........

हरी है ये ज़मीं हमसे कि हम तो इश्क बोते हैं
हमीं से है हँसी सारी, हमीं पलकें भिगोते हैं

धरा सजती मुहब्बत से, गगन सजता मुहब्बत से
मुहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं

करें परवाह क्या वो मौसमों के रुख़ बदलने की
परिन्दे जो यहाँ परवाज़ पर तूफ़ान ढ़ोते हैं

अज़ब से कुछ भुलैंयों के बने हैं रास्ते उनके
पलट के फिर कहाँ आए, जो इन गलियों में खोते हैं

जगी हैं रात भर पलकें, ठहर ऐ सुब्‍ह थोड़ा तो
मेरी इन जागी पलकों में अभी कुछ ख़्वाब सोते हैं

मिली धरती को सूरज की तपिश से ये खरोंचे जो
सितारे रात में आकर उन्हें शबनम से धोते हैं

लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है
वो कोई और होंगे अपनी क़िस्मत पे जो रोते हैं

'आए भी वो गए भी वो'--गीत है यह, गिला नहीं

हमने य' कब कहा भला, हमसे कोई मिला नहीं।


आपके एक ख़याल में मिलते रहे हम आपसे

यह भी है एक सिलसिला गो कोई सिलसिला नहीं।


गर्मे-सफ़र हैं आप तो हम भी हैं भीड़ में कहीं

अपना भी काफ़िला है कुछ आप ही का काफ़िला नहीं।


दर्द को पूछते थे वो, मेरी हँसी थमी नहीं

दिल को टटोलते थे वो, मेरा जिगर हिला नहीं।


आई बहार हुस्न का ख़ाबे-गराँ लिए हुए :

मेरे चमन कि क्या हुआ, जो कोई गुल खिला नहीं।


उसने किए बहुत जतन, हार के कह उठी नज़र :

सीनए-चाक का रफ़ू हमसे कभी सिला नहीं।


इश्क़ की शाइरी है ख़ाक़, हुस्न का ज़िक्र है मज़ाक

दर्द में गर चमक नहीं, रूह में गर जिला नहीं


कौन उठाए उसके नाज़, दिल तो उसी के पास है;

'शम्स' मज़े में हैं कि हम इश्क़ में मुब्तिला नहीं

इस जिंदगी में और मुसीबत कोई नहीं
खुद जिंदगी हुई है मुसीबत कभी-कभी

देखें कि अब उम्मीद पे जाते हैं कहाँ तक
अनबन सी चल रही है कुछ खुदा से इन दिनों.

इस जिंदगी में और मुसीबत कोई नहीं
खुद जिंदगी हुई है मुसीबत कभी-कभी

देखें कि अब उम्मीद पे जाते हैं कहाँ तक
अनबन सी चल रही है कुछ खुदा से इन दिनों.

मत पूछो ये मुझसे कि कब याद आते हो
जब जब साँसे चलती हैं बहुत याद आते हो
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी
भीड़ कि तन्हाईओं में हर बार नज़र आते हो
जब भी सोचा कि फासला रखूँ मैं तुम से
ज़िन्दगी बन कर साँसों में समा जाते हो
खुद को तूफ़ान बनाने कि कोशिश तो की
बन कर साहिल अपने आगोश में समा जाते हो
चाहा ना था मैने इस पहेली में उलझना
हर उलझन का जवाब बन कर उभर आते हो
सूरज की रोशनी, चंदा की चांदनी
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब
तुम्हारी कसम बहुत बहुत याद आते हो
अब ना पूछना मुझसे की कब कब याद आते हो

हर तरफ है दरिन्दे अब दुनिया में कहाँ इंसान बाकी है,

कामयाबी की महफ़िल में अब भी मेरी पहचान बाकि है !

मैं तो परिंदा हूँ किस हद तक रखोगे तुम मुझे,

अब भी मेरे परों में कामयाबी की उड़ान बाकि है !!


कभी आंसू छुपा छुपा के रोये, कभी दास्ताँ-ए-ग़म सुना के रोये,

रात कटी है इन्तेजार-ए-यार में, हम रात भर तारों को जगा के रोये,

फिर वो न आया रात का वादा करके, हम तमाम रात शम्मा जला जला के रोये,

आज रात उनके आने की उम्मीद थी हमें, वो न आये हम घर सजा सजा के रोये,

सुना है दुआ से होती है मुराद दिल की पूरी, हम सारी रात हाथ उठा उठा के रोये !!

♥ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमे मरना तो है ♥

लब पे पाबन्दी नही एहसास पे पहरा तो है
फिर भी अहल-ए-दिल को अहवाल-ए-बशर कहना तो है

अपनी गैरत बेच डालें अपना मसलाक छोड दें
रहनुमाओं मे भी कुछ लोगो को ये मन्शा तो है

है जिन्हे सब से ज़्यादा दावा-ए-हुब्ब-ए-वतन
आज उन की वजह से हुब्ब-ए-वतन रुसवा तो है

बुझ रहे हैं एक एक कर के अकीकदों के दिये
इस अन्धेरे का भी लेकिन सामना करना तो है

झुठ क्यू बोलें फ़रोग-ए-मस्लहत के नाम पर
ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमे मरना तो है!