मुझे पढो तो ज़रा अहतियात से पढना
मुझे पढो तो ज़रा अहतियात से पढना खुद अपनी जात में बिखरी हुई किताब हूँ मैं ......
Thursday, July 29, 2010
मुझे ज़िन्दगी की तलब नहीं
मुझे ज़िन्दगी की तलब नहीं, मौत का इंतज़ार हैं.
चलते चलते यह फ़न भी सिख लिया हमने;
दौरान-ए-सफ़र कैसे होटों पे हसीं सजाते हैं.........
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