Thursday, August 12, 2010

हज़ार ग़म थे मेरी ज़िन्दगी अकेली

हज़ार ग़म थे मेरी ज़िन्दगी अकेली थी

ख़ुशी जहां की मेरे वास्ते पहेली थी

वफ़ा की तलाश तो अक्सर बेवफाओं को होती है

हम ने तो दुनिया ही छोड़ दी किसी की वफ़ा के लिए

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