Tuesday, September 15, 2009

पल भर मैं तमाम उमर की सोचें बदल जाती हैंजिन राहों पे चलते हैं वोही राहें बदल जाती हैंकरने को किया नही करते लोग मुहब्बत मैंसिर्फ़ हमारे लिए हे क्यूँ रस्में बदल जाती हैंवोह ऐसा है की उस की नाम सुनने की तस्वूर से हेहमारी तमाम तर साअतें बदल जाती हैंसोचती हूँ जाने कैसे कह पाऊँगी मैं उससेमिलती हूँ तो दिल की सारी बातें बदल जाती हैंचाहे मंजिल दुशवार हो और दूर भीहमसफ़र उस जैसा हो तो मुसाफ्तें बदल जाती हैंयूँ तो रात का आलम हसीं होता है मदहोश भीमगर चाँद देखूं तो मेरी रातें बदल जाती हैंमत चाहो की मुझे आदत नही इतना चाहने वालों कीयह ना हो लोग कहें जल्द ही आदतें बदल जाती हैं

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